धस जाएगी ज़मीन
फट जाएगा आसमां
मिट जाएगी भाग्यरेखा
बुद्धि विपरीत हो जाएगी
विकृत हो जाएगी सूरत
भ्रष्ट हो जाएगी सीरत
फीकी पढ़ेगी गुड की चाशनी
ज़हर हो जाएगी औषधि
शहर सुनसान हो जाएंगे
मित्र सांथ छोड देंगे
काल के चक्र में
सब कुछ नाश हो जाएगा
सिरहाने रखी वो एक तस्वीर
रह जाएगी